कोरोना भगाने के लिए फोड़े पटाखों से दोगुना बढ़ा वायु प्रदूषण
पूरी दुनिया कोरोना से बेहाल है। भारत में भी इसका संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस (COVID-19) के विरुद्ध जंग में दीपक, मोमबत्ती, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाकर एकजुटता प्रदर्शित करने का आवाह्न किया था। प्रधानमंत्री के आवाह्न पर लोगों ने न केवल दीपक और मोमबत्तियाँ जलाईं बल्कि कई लोगों ने दो कदम आगे बढ़कर पटाखे भी फोड़े जिसके कारण राजधानी दिल्ली का प्रदूषण स्तर अचानक दोगुना हो गया है।
रविवार 5 अप्रैल 2020 को पटाखे फूटने से पूर्व दिल्ली का PM2.5 स्तर 48.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) था, जो कि पटाखों के फूटने के पश्चात् 90.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) पर पहुँच गया था। कुछ समय पश्चात् यह 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) पर पहुँच गया।
एनसीआर के प्रदूषण स्तर में भी इसी प्रकार की वृद्धि देखी गई। गाज़ियाबाद में सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। आँकड़ों के अनुसार, पटाखों के फूटने के पश्चात् गाज़ियाबाद में PM2.5 का स्तर 131.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) पर पहुँच गया था।
क्या होता है PM2.5
PM2.5 का आशय उन कणों या छोटी बूँदों से होता है जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर (0.000001 मीटर) या उससे कम होता है और इसीलिये इसे PM2.5 के नाम से भी जाना जाता है।
पटाखों का प्रभाव शहरों के वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index-AQI) पर भी देखने को मिला है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board-CPCB) के अनुसार, दिल्ली का AQI रविवार को 102 (मध्यम) के स्तर से बढ़कर सोमवार को 142 (मध्यम) पर पहुँच गया।
सबसे अधिक बढ़ोतरी गाज़ियाबाद में दर्ज की गई, जो रविवार को 124 (मध्यम) के स्तर से बढ़कर सोमवार को 181 (मध्यम) पर पहुँच गया।
गौरतलब है कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राजधानी दिल्ली समेत देश भर में सभी गतिविधियों ठप हैं इसलिए देश के सभी शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी नीचे आ गया था।
प्रधानमंत्री द्वारा दीपक और मोमबत्तियों के माध्यम से एकजुटता प्रदर्शित करने की बात की गई थी, किंतु कुछ लोगों ने इसे गलत रूप में ले लिया, जिसके कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। आवश्यक है कि आम लोगों को प्रदूषण और सामाजिक उत्तरदायित्त्व जैसे विषय के प्रति जागरूक किया जाए।