October 9, 2024

क्या कौशांबी में ‘फिक्स’ हो गए शिक्षक पुरस्कार? टीचर का ऑडियो वायरल

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उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिलें में शिक्षक पुरस्कार चयन प्रक्रिया को लेकर विवाद हो गया है। कई शिक्षकों ने चयन में भेदभाव का आरोप लगाया है।

दरअसल हुआ ये कि जिला बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतिम साक्षात्कार के लिए 10 आवेदकों में से महज दो शिक्षकों के नाम ही राज्य स्तरीय चयन समिति को भेजे हैं। आवेदकों का आरोप है कि यह नियम के खिलाफ है। इस सिलसिले में कुछ शिक्षकों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को शिकायतें भी भेजी हैं।

शिक्षकों का आरोप है कि एक शिक्षिका का कथित ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। जिसमें हो रही बातचीत से साफ पता चलता है कि वो ट्यूशन पढ़ाने के बावजूद पुरस्कार मिलने को लेकर ‘कान्फिडेंट’ हैं। हालांकि कोई विवाद न हो इसलिए उन्होंने ‘रिस्क’ नहीं लेना उचित नहीं समझा और कुछ दिनों के लिए ट्यूशन पढ़ाना स्थगित कर दिया है। शिक्षकों का आरोप है कि इसप्रकार की बातचीत का कथित ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल होना और उस पर जांच न होना पुरस्कार ‘फिक्स’ होने के संकेत देता है।

दरअसल शिक्षक दिवस यानि 5 सितम्बर को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद शिक्षण कार्य में बेहतर योगदान देने वाले शिक्षकों को पुरस्कार देता है। आवेदन करने वाले शिक्षकों के नाम जिला स्तर पर ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ‘मर्जी’ के कारण न रोक दिए जाएं; इसके लिए इस बार आवेदन की प्रक्रिया पारदर्शी रहे इसके लिए आवेदन ऑनलाइन मंगाए गए। विभाग को सिर्फ यह वेरिफिकेशन करना था कि शिक्षक पर कोई विभागीय कार्रवाई या कोई आपराधिक कार्रवाई तो नहीं हुई। इसके बाद सभी आवेदकों को ऑनलाइन ही अपना आवेदन करना था। सभी प्रमाण पत्र, स्कूल में किए गए काम तय फार्मेट में भेजने थे। 15 अगस्त के पहले तक यह प्रक्रिया पूरी हो गई थी।

लखनऊ में साक्षात्कार शुरू

20 अगस्त को बेसिक शिक्षा परिषद ने अंतिम साक्षात्कार के लिए मण्डलवार तारीखें घोषित कर दीं। 21 अगस्त से लखनऊ में अधिकारियों ने साक्षात्कार शुरू कर दिए हैं। प्रयागराज मण्डल के शिक्षकों को 27 अगस्त को बुलाया गया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजकुमार पण्डित ने पत्र जारी किया कि जिले से दो शिक्षक शालिनी कुशवाहा रसूलाबाद और चायलदीप नारायण मिश्र सिराथू राज्य समिति के सामने 27 अगस्त को अपना प्रजेंटेशन दें। इसके बाद कौशांबी जिले में हड़कम्प मच गया।

ये नाम काट दिए गए

इन दो को छोड़कर बाकी सभी आवेदकों जिनमें सचिन कुमार ओझा (कसया पश्चिम), नृपजीत सचान (डोरामां), पंकज सिंह ( लोधना), सविता सिंह ( सेबसा),  पूनम सिंह (रसूलाबाद), क्षमा सचान (मोहम्मदपुर), ओमप्रकाश सिंह (उम्रच्छा) के नाम बीएसए ने अपने स्तर पर ही काट दिए।

जबकि इसी मनमर्जी को रोकने के लिए आवेदन ऑनलाइन मांगे गए थे। लेकिन अधिकारिओं ने इसे भी अपने हिसाब से कर लिया। यह भी उल्लेखनीय है कि एक अन्य आवेदक अजय कुमार साहू (कड़ा ब्लॉक) का एक आडियो वायरल हुआ था कि जिसमें उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ कमेंट किया था। इस पर उनके खिलाफ एफआईआर हो गई थी; जिससे वे आवेदक के रूप में अपात्र हो गए थे। परन्तु शेष आवेदकों के नाम पात्रता के दायरे में हैं। इसके बाद भी सिर्फ दो नाम भेजने से अन्य आवेदक और शिक्षक आक्रोशित हैं।

मंत्री और महानिदेशक को भेजी शिकायत

कुछ आवेदकों का कहना है कि उन्होंने मंत्री सतीश द्विवेदी को और बेसिक शिक्षा महानिदेशक डॉ सर्वेंद्र विक्रम सिंह को भी शिकायत भेजी है। शासन ने साक्षत्कार समिति में सभी मण्डलों के सहायक मण्डलीय शिक्षा निदेशकों (एडी) को सदस्य बनाया है। इसलिए कौशांबी के मामले की शिकायत उनसे भी की गई है। सबसे ज्यादा चर्चा शालिनी कुशवाहा के नाम पर जिनका नाम बीएसए ने शासन को भेजा है।

ऑडियो बना चर्चा का विषय

शालिनी का सरकारी टीचर होते हुए भी ट्यूशन पढाने और पुरस्कार के लिए कुछ दिन के लिए पढ़ाना छोड़ देने का कथित ऑडियो वायरल होने के बाद भी कोई जांच न करना और उनका नाम लखनऊ भेज देना चर्चा और संदेह का कारण बना हुआ है। इस कथित ऑडियो में शालिनी एक अभिभावक से यह कह रही है कि ” मेरा नाम पुरस्कार के लिए गया है। 15 अगस्त तक नहीं पढ़ाऊँगी। कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।”  इस बातचीत में उनका कान्फीडेंस देखने लायक है।

इससे शिक्षकों के बीच पुरस्कार की निष्पक्षता को लेकर संदेह भी पैदा हो गया है। पुरस्कार के लिए आवेदन करते वक्त यह जानकारी मांगी गई है कि आवेदक ट्यूशन तो नहीं पढ़ाते हैं? जबकि शालिनी के कथित ऑडियो से यह स्पष्ट है कि वे ट्यूशन पढ़ाती हैं और पुरस्कार के ऐलान तक रुकी हुई हैं और बाद में ट्यूशन पढ़ाएंगी।

कौशांबी से सिर्फ दो नाम क्यों

शिक्षकों ने सवाल उठाया है कि जब 10 लोगों ने आवेदन किया तो बीएसए ने सिर्फ दो लोगों के ही नाम लखनऊ क्यों भेजे? शेष आवेदकों के नाम क्यों, किस आधार पर छांटे। क्या उन्हें नियमावली के तहत यह अधिकार हासिल हैं? जबकि अन्य जिलों से दो दर्जन से अधिक नाम गए हैं। यानी जिसने आवेदन किए, उनके सबके। एक ही स्कूल से दो दो शिक्षकों के नाम भी (फतेहपुर की खागा तहसील का एक स्कूल) शामिल हैं।

क्या बोले वरिष्ठ अधिकारी

प्रयागराज मण्डल के एडीशनल डाइरेक्टर रमेश तिवारी ने इस मामले में बार बार यह कहा कि ‘ मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। आपने बताया है तो पूछताछ करूँगा। आप सीधे बीएसए से भी पूछ लीजिए। ध्यान रहे कि कौशांबी के बीएसए राजकुमार पण्डित प्रमोट हो गए हैं। इसलिए रमेश तिवारी भी कुछ ज्यादा कहने से बचे। वहीं कौशांबी के बीएसए ने अनेक बार कोशिश के बाद भी फोन नहीं उठाया। जैसे ही उनका कोई जवाब आएगा; उसे भी अपडेट किया जाएगा।

Disclaimer: TheInterviewTimes कथित ऑडियो के प्रमाणिक होने पुष्टि नहीं करता है।


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