जेएनयू ने थोड़ी कम की फीस, छात्र असंतुष्ट, जारी रहेगा आंदोलन
नयी दिल्ली, 13 नवंबर। जेएनयू के छात्रों के आंदोलन का आज थोड़ा असर देखने को मिला। छात्र पिछले 16 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद जेएनयू प्रसासन ने हॉस्टल फीस वृद्धि आंशिक रूप से वापस लेने का फैसला किया है।
विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद् की बैठक में यह फैसला किया गया। छात्रों के आंदोलन को देखते हुए आखिरी क्षणों में इस बैठक के आयोजन स्थल में बदलाव किया गया और इसे परिसर के बाहर आयोजित किया गया।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम ने ट्वीट किया, ‘‘जेएनयू कार्यकारिणी परिषद् छात्रावास शुल्क और अन्य नियमों को बहुत हद तक वापस लेने का फैसला करता है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईब्ल्यूएस) के छात्रों के लिये आर्थिक सहायता की एक योजना का भी प्रस्ताव किया गया है। कक्षाओं में लौटने का वक्त आ गया है।’’
कार्यकारिणी परिषद् जेएनयू की फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।
इससे पहले, बुधवार को विश्वविद्यालय के छात्रों ने छात्रावास शुल्क में वृद्धि वापस लेने की अपनी मांग को लेकर विरोध- प्रदर्शन तेज कर दिया। वाम दल समर्थित छात्र संगठनों के विद्यार्थी छात्रावास शुल्क में वृद्धि के खिलाफ करीब पखवाड़े भर से प्रदर्शन कर रहे हैं।
छात्र संगठनों का दावा है कि छात्रावास नियमावली मसौदा में छात्रावास शुल्क वृद्धि और ड्रेस कोड आदि के प्रावधान हैं, जिसे इंटर-हॉल प्रशासन ने मंजूरी दी थी।
नया फी स्ट्रक्चर
जेएनयू छात्रों के मुताबिक अकेले रहने वाले कमरे का किराया, जिसे 20 रुपये से बढ़ा कर 600 रुपये प्रति माह कर दिया गया था, वह अब 200 रुपये होगा। इसी तरह, दो छात्रों के रहने वाले कमरे का किराया जिसे 10 रुपये से बढ़ा कर 300 रुपये प्रति माह किया गया था, वह अब 100 रुपये होगा। मेस सिक्योरिटी – 5,500 रुपये की गई जो पहले 5500 रुपये ही थी, लेकिन बढ़ाकर 12,000 रुपये किए जाने का प्रस्ताव था। सर्विस चार्ज को ऐज पर एक्चुअल रहेंगे। यूटिलिटी चार्जेज: 1700 रुपये प्रति माह होंगे जोकि पहले नहीं लिया जाता था और 1700 रुपये प्रस्तावित थे। ईडब्ल्यूएस (इकोनॉमिक वीकर सेक्शन) यानी निम्न आय वर्ग परिवारों से आने वाले छात्रों को अलग से मदद दी जाएगी।
कार्यकारिणी के फैसले से छात्र संतुष्ट नहीं हैं। जेएनयू छात्रसंघ ने कहा है कि ये छात्रों के साथ धोखा है और जब तक पुरानी स्थिति बहाल नहीं की जाती अर्थात फीस बढ़ोत्तरी पूरी तरह से वापस नहीं ली जाती छात्रों का आंदोलन जारी रहेगा।