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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू, सत्ता के लिए जोड़तोड़ भी जारी

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू, सत्ता के लिए जोड़तोड़ भी जारी

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नयी दिल्ली, 12 नवंबर। महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के मोदी कैबिनेट के फैसले को मंजूरी दे दी। फिलहाल विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी।

इसबीच कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील रवाना हो गए।

राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर शिवसेना सुप्रीम कोर्ट चली गई है। शिवसेना ने राज्यपाल के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें सरकार गठन के लिए कम समय दिया गया। वहीं एनसीपी और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच मुंबई में सरकार गठन को लेकर बातचीत हुई।

शिवसेना ने सोमवार को दावा किया था कि एनसीपी और कांग्रेस ने उसे सरकार बनाने के लिये सिद्धांत रूप में समर्थन देने का वादा किया है। हालांकि शिवसेना राज्यपाल की ओर से तय समय सीमा में इन पार्टियों का समर्थन का पत्र पेश करने में विफल रही। शिवसेना ने राज्यपाल से 48 घंटे का समय देने की मांग की थी जिसे देने से राज्यपाल ने इनकार कर दिया था। इसके बाद राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और उन्हें भी 24 घंटे का समय दिया। हालांकि दिए गए वक्त से पहले ही राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश केंद्र सरकार को कर दी।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने के लिए कांग्रेस ने उनकी आलोचना की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने ‘‘न्याय का हनन’’ किया है और संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक बनाया है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राज्यपाल पर शिवसेना, एनसीपी और भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के लिए ‘‘मनमाने ढंग से’’ समय देने का आरोप भी लगाया।

राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश से पहले एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में लगी रही शिवसेना दोनों दलों से आवश्यक समर्थन पत्र नहीं जुटा पाई थी।

शिवसेना के नेताओं ने सरकार गठन के दावे के लिए सोमवार रात साढ़े सात बजे की समयसीमा से पहले राज्यपाल से मुलाकात की थी।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्वीट किये गये एक बयान के अनुसार, ‘‘वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, (और इसलिए) संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है।’’

अनुच्छेद 356 को आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ से संबंधित है।

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