October 9, 2024

विभाजन के दौरान डेढ़ करोड़ देशवासियों ने झेला था विस्थापन का दर्द, लाखों ने जान गंवाई: पद्मश्री राम बहादुर राय

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मथुरा, 14 अगस्त ।  वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मश्री राम बहादुर राय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त का दिन देश के विभाजन के समय बड़े तादाद पर हुए विस्थापन के चलते ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाने का निर्णय लेकर ऐतिहासिक कार्य किया है।
उन्होंने कहा, ऐसा दुनिया के किसी भी देश के इतिहास में आज तक नहीं हुआ कि वहां विभाजन या ऐसी किसी भी अन्य घटना के दौरान केवल तीन माह में डेढ़ करोड़ लोगों ने विस्थापन का दंश सहा हो और इस घटना में महिलाओं और बुजुर्गों सहित लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी हो।
वे शनिवार को पर्यावर्णीय एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़ी राष्ट्रवादी गैर सरकारी संस्था ‘युगांधर’ द्वारा मथुरा में आयोजित नवम स्थापना दिवस एवं आजादी के 75वें वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में ‘देश की आजादी का अमृत महोत्सव’ के उद्घाटन सत्र को आभासी माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उक्त संस्था ने यह महोत्सव अगले दो वर्ष तक (यानि 2023 तक) मनाने का निर्णय किया है।
श्री राय ने भारत के अंतिम वायसराय एवं प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउण्टबेटन के एडीसी रहे हमीरपुर की तत्कालीन सरीला रियासत के लेखक नरेंद्र सिंह सरीला द्वारा लिखित पुस्तक ‘विभाजन की असली कहानी’ का हवाला देते हुए कहा, विभाजन के तत्काल बाद से ही कमोबेश एक-दो वर्षों के अंतराल से इस विषय पर कोई न कोई किताब आती ही रहती है, किंतु सरीला ने उक्त किताब में जो वर्णन किया है, वह दुनिया के तमाम इतिहासकारों ने माना है कि वह सच्चाई के काफी करीब है।’
उन्होंने कहा, सरीला चूंकि खुद बरसों तक लॉर्ड माउण्टबेटन के एडीसी रहे थे और उन्होंने काफी बाद में इंग्लैण्ड जाकर इस विषय से संबंधित आर्काइव्स (अभिलेखागारों) से संकलित तथ्यों के आधार पर इस पुस्तक को लिखा है, इसलिए उनका लिखा अन्य इतिहासकारों की अपेक्षा ज्यादा विश्वसनीय है।


हालांकि, राम बहादुर राय वर्ष 1974 में पटना से शुरु हुए जयप्रकाश नारायण (जेपी) के इंदिरा सरकार विरोधी आंदोलन के अगुआओं में से एक हैं, फिर भी उन्होंने विभाजन पर डॉ. राम मनोहर लोहिया द्वारा लिखी पुस्तक ‘भारत विभाजन के गुनहगार’ के तुलनात्मक सरीला की पुस्तक को ज्यादा प्रभावशाली बताते हुए कहा, लोहिया ने विभाजन के आठ मुख्य कारणों पर जोर दिया है, लेकिन सरीला ने केवल एक पर ही अपना ध्यान लगाया है और उस पर अधिकाधिक जानकारी दी है। जिसके अनुसार उस दौरान देश की डेढ़ करोड़ से अधिक आबादी ने न केवल विस्थापन का दंश झेला, वरन् लाखों की तादाद में लोगों को जान गंवानी पड़ी। और इनमें से वे अधिक थे, जो समाज के कमजोर वर्गों से आते हैं। स्थिति यह भी थी कि जब एक तरफ देशवासी आजादी का जश्न मना रहे थे, तब एक बड़ी आबादी अपनी व अपने अपनों की जान बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी।
ऐसे में, यदि प्रधानमंत्री ने उनकी याद में 14 अगस्त का दिन हर वर्ष ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला लिया है तो बहुत सही है। इससे न केवल उस पीढ़ी के लोगों को भले ही कोई बड़ा सुकून न मिले, लेकिन एक सब्र तो होगा कि आखिर उनके दर्द के बारे में किसी ने कुछ सोचा तो सही। बल्कि नई पीढ़ी भी उन्हें आसानी से मिली आजादी की कीमत का कुछ ऐहसास तो होगा ही कि हमारे पूर्वजों ने इसके लिए कितनी बड़ी कुर्बानियां दीं, जिसके बाद यह आजादी हासिल हुई।
गौरतलब है कि राय के इस वक्तव्य से कुछ घण्टे पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर देश को अपने इस निर्णय को साझा किया था। जिसके अनुसार अब से 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर याद किया जाएगा। उन्होंने लिखा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।
युगांधर संस्था ने ‘हमें गर्व है’ नाम से अमृत महोत्सव के शुभारंभ के अवसर पर 20 छात्र- छात्राओं को साइकिल दी गई। युगांधर ने बेटियों को साइकिल देकर समाज को बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के साथ पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य की अहमियत को महत्व दिया है।
इस मौके पर राज्य सरकार के पूर्व मंत्री एवं उप्र राज्य व्यापारी कल्याण सलाहकार परिषद के अध्यक्ष रविकांत गर्ग ने भी समारोह को संबोधित किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार वात्सल्य राय, राकेश शर्मा (विधायक जी) ,समाजसेवी वीरपाल भरंगर, वीके अग्रवाल, अशोक चौधरी, पुण्डरीक रत्न और कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। संचालन संस्था के महामंत्री महेंद्र सिंह पटेल ने किया।
रिपोर्ट- विजय कुमार आर्य ‘विद्यार्थी’


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