डब्ल्यूटीओ में किसानों के मुद्दों को रखे मोदी सरकार – भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक)
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाणिज्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव दिवाकर मिश्रा से मुलाकात की। यूनियन ने विश्व व्यापार संगठन में किसानो के मुद्दो को रखने की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल में धर्मेंद्र मलिक राष्ट्रीय प्रवक्ता,मांगेराम त्यागी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,राजवीर सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष,अनिल तालान राष्ट्रीय महासचिव शामिल रहे।
किसान नेताओं ने अपने मुद्दों को सरकार को एक पत्र के माध्यम से भेजा है, और सरकार से आग्रह किया है कि वो विश्व व्यापार संगठन की 12-15 जून को जिनेवा में होने वाली बैठक में इन मुद्दों को उठाए। यूनियन ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को संबोधित करते हुए जो पत्र भेजा है उसमें निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं। –
1. भारत को जिनेवा में 12 जून से शुरू होने वाली डब्ल्यूटीओ बैठक में खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के मुद्दे के स्थायी समाधान की तलाश करनी चाहिए। क्योकि वैश्विक व्यापार मानदंडों के तहत, विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश के खाद्य सब्सिडी बिल को उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। स्थायी समाधान के तहत भारत ने खाद्य सब्सिडी की सीमा की गणना के फार्मूले में संशोधन और 2013 के बाद लागू किए गए कार्यक्रमों को ‘पीस क्लॉज’ के दायरे में शामिल करने जैसी चीजें मांगी है, इसपर कायम रहना चाहिए।
2. डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्य देश परस्पर सहमति से कोई भी नीति निर्धारित करें, जिससे अल्प विकसित और विकासशील देशों के हितों का टकराव न हो। इसका स्थाई समाधान हो।
3. विश्व व्यापार संगठन के अन्तर्गत कृषि समझौते से भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि वस्तुओं का आगमन तेजी से हुआ, जिससे भारतीय कृषि उत्पाद विदेशी वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा करने में पूर्ण सफल नहीं हो सके। इसके लिए किसानों को विशेष छूट के साथ भारतीय कृषि उत्पाद को विकसित देशों के कृषि उत्पाद से प्रतिस्पर्धा के लायक बनाया जाए।
4. विकसित देशों द्वारा अपने किसानों को सहायताऐं प्रदान की जा रही है, जिससे विकासशील देशों के कृषि बाजार में उनकी पहुँच आसान बन गयी है। भारत के किसानों को भी उसी तरह की सहायताऐं उपलब्ध कराई जाये।
5. मात्रात्मक प्रतिबन्ध समाप्त होने के पश्चात् आवश्यक वस्तुओं का अन्धाधुन्ध आयातः रोकने के लिए देश में नई आयात-निर्यात नीति तय की गयी थी। क्योकि देश में फल, सब्जियाँ, चाय, काफी, मसाले, गेहूँ, चावल, मोटे अनाज, नारियल का तेल आदि का आयात मुक्त हो गया है जिससे भारतीय कृषि के आन्तरिक बाजार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है। इसके लिए किसान हित में समय से जरूरत पड़ने पर आयात शुल्क लगाया जाये। मात्रात्मक प्रतिबंध भारत के पास हथियार है जो अधिक आयात को रोकता है भारत सरकार को मात्रात्मक प्रतिबंध में कोई ढील नहीं देनी चाहिए
6. विश्व व्यापार संगठन में कृषि समझौता गहरे असंतुलन से भरा हुआ है, जो विकसित देशों का पक्ष लेता है और कई विकासशील देशों के खिलाफ नियमों को झुकाता है। ऐसे में कृषि सुधार में पहले कदम के रूप में, ऐतिहासिक विषमताओं और असंतुलन को ठीक किया जाना चाहिए।
7. भारतीय कृषि के आयात एवं निर्यात पर लगातार मात्रात्मक एवं गुणात्मक प्रतिकरों को लगाये जाने तथा भारत पर लगातार अनेक प्रकार के दवाबों को बनाये रखने का प्रयास विकसति देशों द्वारा विश्व व्यापार संगठन के द्वारा किया जाता है, इसके लिए डब्ल्यूटीओ के साथ होने में वाली वार्ता में भारत को इस तरह की बाधायें खत्म करने के लिए दबाव बनाना चाहिए।
8. स्वास्थ्य और पादप स्वास्थ्य प्रावधान तथा व्यापारगत प्राविधिक अवरोध नामक समझौता विश्व व्यापार संगठन का एक सराहनीय कार्य था, लेकिन विकसित राष्ट्रों द्वारा इसका क्रियान्वयन न होने के कारण विकासशील देशों को काफी क्षति उठानी पड़ रही है। विकसित देश द्वारा अपने वायदों से पीछे हटकर अपने बाजारों को संरक्षित किया गया है। इससे भारतीय कृषि बाजार के अन्तर्गत निर्यातों को सीमित किया गया है, जिसका भारतीय कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसके लिए यह आवश्यक है कि विकासशील देश, विकसित देशों पर इस प्रावधान को लागू कराने का दबाव डालें।