December 21, 2024

आरटीआई से जानकारी हासिल करना है बेहद आसान, बस इन बातों का रखें ध्यान

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हम और आप टैक्स देते हैं ताकि देश का विकास हो सके। सबको अच्छी शिक्षा मिले। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया हों। नौजवानों को रोजगार मिले। अर्थात पैसे का सदुपयोग हो। हमारी यह अपेक्षा रहती है कि सरकार पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ अपने दायित्वों का पालन करे।

लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है और उसके पास यह जानने का अधिकार होता है कि सरकार ठीक से काम कर रही है या नहीं। टैक्स के पैसे का कहां, कब, कैसे और कितना उपयोग हो रहा है यह सब जानने का हक हमें एक कानून द्वारा मिला है। इस कानून को कहते हैं सूचना का अधिकार अर्थात राइट टू इनफॉर्मेशन।

सूचना के अधिकार का तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार । सूचना के अधिकार द्वारा सरकारें अपने नागरिकों को अपने कार्य और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करती हैं।

12 मई 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 संसद में पारित किया, जिसे 15 जून 2005 को राष्ट्रपति की अनुमति मिली और अन्ततः 12 अक्टूबर 2005 को यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू हो गया।

सूचना के अधिकार को संविधान में मूलभूत अधिकार का दर्ज़ा दिया गया है। इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। धारा 19 (1), जिसके तहत प्रत्ये)क नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है।

सूचना का अधिकार प्रत्येक नागरिक को सरकार से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है और इसमें टिप्पणियां,  सारांश अथवा दस्ताकवेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों या सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग की जा सकती है।

किससे मांगें सूचना
1- समस्त सरकारी विभाग, पब्लिक सेक्टर यूनिट, किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता से चल रहीं गैर सरकारी संस्थाएं व शिक्षण संस्थान आदि विभाग इसमें शामिल हैं।
2- बिना किसी सरकारी सहायता के चल रही निजी संस्थाएं इस कानून के दायरे में नहीं आती हैं। लेकिन यदि किसी कानून के तहत कोई सरकारी विभाग किसी निजी संस्था से कोई जानकारी मांग सकता है तो उस विभाग के माध्यम से वह सूचना मांगी जा सकती है।
3- प्रत्येक सरकारी विभाग में एक या एक से अधिक जनसूचना अधिकारी बनाए गए हैं, जो सूचना के अधिकार के तहत आवेदन स्वीकार करते हैं, मांगी गई सूचनाएं एकत्र करते हैं और उसे आवेदनकर्ता को उपलब्ध कराते हैं।
4- जनसूचना अधिकारी का दायित्व है कि वह 30 दिन अथवा जीवन व स्वतंत्रता के मामले में 48 घण्टे के अन्दर (कुछ मामलों में 45 दिन तक) मांगी गई सूचना उपलब्ध कराए।
5- यदि जनसूचना अधिकारी आवेदन लेने से मना करता है, तय समय सीमा में सूचना नहीं उपलब्ध् कराता है अथवा गलत या भ्रामक जानकारी देता है तो देरी के लिए 250 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 25000 तक का जुर्माना उसके वेतन में से काटा जा सकता है। साथ ही उसे सूचना भी देनी होगी।
6- लोक सूचना अधिकारी को यह अधिकार नहीं है कि वह आपसे सूचना मांगने का कारण पूछे।
7- यदि कोई लोक सूचना अधिकारी यह समझता है कि मांगी गई सूचना उसके विभाग से सम्बंधित नहीं है तो यह उसका कर्तव्य है कि उस आवेदन को पांच दिन के अन्दर सम्बंधित विभाग को भेजे और आवेदक को भी सूचित करे। ऐसी स्थिति में सूचना मिलने की समय सीमा 30 की जगह 35 दिन होगी।
8- लोक सूचना अधिकारी यदि आवेदन लेने से इंकार करता है। अथवा परेशान करता है। तो उसकी शिकायत सीधे सूचना आयोग से की जा सकती है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं को अस्वीकार करने, अपूर्ण, भ्रम में डालने वाली या गलत सूचना देने अथवा सूचना के लिए अधिक फीस मांगने के खिलाफ केन्द्रीय या राज्य सूचना आयोग के पास शिकायत की जा सकती है।
9- जनसूचना अधिकारी कुछ मामलों में सूचना देने से मना कर सकता है। जिन मामलों से सम्बंधित सूचना नहीं दी जा सकती उनका विवरण सूचना के अधिकार कानून की धारा 8 में दिया गया है। लेकिन यदि मांगी गई सूचना जनहित में है तो धारा 8 में मना की गई सूचना भी दी जा सकती है। जिस सूचना को संसद या विधानसभा को देने से मना नहीं किया जा सकता उसे किसी आम आदमी को भी देने से मना नहीं किया जा सकता।
10- यदि लोक सूचना अधिकारी निर्धारित समय-सीमा के भीतर सूचना नहीं देते हैं। या धारा 8 का गलत इस्तेमाल करते हुए सूचना देने से मना करता है। या दी गई सूचना से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में, 30 दिनों के भीतर सम्बंधित जनसूचना अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी यानि प्रथम अपील अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील की जा सकती है।
11- यदि आप प्रथम अपील से भी संतुष्ट नहीं हैं तो दूसरी अपील 60 दिनों के भीतर केन्द्रीय या राज्य सूचना आयोग (जिससे सम्बंधित हो) के पास करनी होती है।

आवेदन शुल्क
1- सूचना मांगने के लिए आवेदन फीस देनी होगी। केन्द्र सरकार ने आवेदन के साथ 10 रुपए की फीस तय की है।
2- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति या गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के सदस्यों को शुल्क नहीं जमा करने की छूट प्राप्त है। जो व्यक्ति शुल्क में छूट पाना चाहते हों उन्हें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/बीपीएल प्रमाणपत्र की फोटोकॉपी जमा करनी होगी।
3- दस्तावेजों की प्रति लेने के लिए भी फीस देनी होगी। केन्द्र सरकार ने यह फीस 2 रुपए प्रति पृष्ठ रखी है। लेकिन कुछ राज्यों में यह अधिक है। अगर सूचना तय समय सीमा में नहीं उपलब्ध कराई गई है तो सूचना मुफ्त दी जायेगी।

सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया
आवेदन सीधे विभाग जा कर,  डाक से या ई-मेल के माध्यम से भेजा जा सकता है। यदि आप आवेदन डाक से भेज रहे हैं तो उसके लिए केवल रजिस्टर्ड डाक सेवा का ही प्रयोग करें। कूरियर से कभी न भेजें।
आवेदन ई-मेल से भेजने की स्थिति में जरूरी दस्तावेजों की स्कैन कॉपी अटैच कर भेजें। लेकिन शुल्क जमा करने के लिए आपको संबंधित कार्यालय जाना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में शुल्क भुगतान करने की तिथि से ही सूचना आपूर्ति के समय की गणना की जाती है।
आवेदन जमा करने से पहले लोक सूचना अधिकारी का नाम, शुल्क, उसके भुगतान की प्रक्रिया आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें। उसके बाद निम्नलिखित तरीके से आवेदन तैयार कर लें।
1. आवेदन हाथ से लिखा या टाइप किया होना चाहिए। आवेदन प्रपत्र को संबंधित राज्य या विभाग की वेबसाईट से भी डाउनलोड कर सकते हैं।
3. आवेदन अंग्रेजी, हिन्दी या अन्य प्रादेशिक भाषाओं में तैयार होना चाहिए।
4. अपने आवेदन में निम्नलिखित सूचनाएं दें:
• सहायक लोक सूचना अधिकारी/लोक सूचना अधिकारी का नाम व उसका कार्यालय पता।
• विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम- 2005 की धारा 6(1) के अंतर्गत आवेदन।
• सूचना का ब्यौरा, जिसे आप प्राप्त करना चाहते हैं।
• आवेदनकर्त्ता का नाम।
• पिता/पति का नाम।
• वर्ग- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ी जाति।
• आवेदन शुल्क।
• क्या आप गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवार से आते हैं- हाँ/नहीं।
• मोबाइल नंबर व ई-मेल पता (मोबाइल तथा ई-मेल पता देना अनिवार्य नहीं)
• पत्राचार हेतु डाक पता
• स्थान तथा तिथि
• आवेदनकर्त्ता के हस्ताक्षर
• संलग्नकों की सूची
आगे उपयोग के लिए आवेदन पत्र (अर्थात् मुख्य आवेदन प्रपत्र, आवेदन शुल्क का प्रमाण, स्वयं या डाक द्वारा जमा किये गये आवेदन की पावती) की दो फोटोकॉपी करा लें और उसे सुरक्षित रखें।
यदि अपना आवेदन स्वयं जाकर जमा कर रहे हों, तो कार्यालय से रिसीविंग अवश्य ले लें जिसपर प्राप्ति की तिथि तथा मुहर स्पष्ट रूप से अंकित हों। यदि आवेदन रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेज रहे हों तो पोस्ट ऑफिस से प्राप्त रसीद अवश्य प्राप्त करें और उसे संभाल कर रखें।
सूचना आपूर्ति के समय की गणना लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदन की तिथि से आरंभ होती है।

लेखक – महेन्द्र सिंह, संपादक, माय वॉयस


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