Film Maharaja 2024: कई नेशनल अवार्ड जीत सकती है महाराजा
विजय सेतुपति के अद्भुत अभिनय से ताज़ा हुई दिलीप कुमार की याद
अनुराग कश्यप के रूप में सिनेमा जगत को मिला खूंखार विलेन
विजय सेतुपति और अनुराग कश्यप की फिल्म महाराजा (Maharaja) एक एक्शन, थ्रिलर और सस्पेंस से भरपूर रोंगटे खड़े कर देने वाली बेहतरीन फिल्म है. इसकी कहानी तो जबरदस्त है ही. साथ ही साथ अभिनय में एक्टर्स ने बहुत ही शानदार और बेमिसाल अभिनय किया है. यह साल की अब तक की सबसे अच्छी फिल्म है. अगर आपने महाराजा देख ली तो चैन से सो नहीं पाएंगे, फिल्म आपके दिमाग पर हावी रहेगी.
(Film Maharaja) महाराजा ने एक बार फिर साबित किया है कि बॉलीवुड वहां तक सोच ही नहीं सकता है जहां आज साउथ इंडियन सिनेमा खड़ा है. यही कारण है कि आमिर, शाहरुख, सलमान, अक्षय और देवगन जैसे बॉलीवुड के धुरंधर भी साउथ की बनी मूवी की रीमेक में काम करते नजर आ जाते हैं.
बॉलीवुड को अच्छे स्टोरी राइटर की सख्त जरूरत है. आउट ऑफ द बॉक्स थिंकिंग क्या होती है इसका उदाहरण है महाराजा. महाराजा कोई साधारण मसाला फिल्म नहीं है जिसमें एक हीरो होता है कुछ गुंडे होते हैं, थोड़ा रोमांस होता है और रंजिश की घिसी पिटी कहानी होती है. महाराजा नाम के ही अनुरूप सभी फिल्मों से ऊपर है और इस वर्ष की बेहतरीन फिल्म के साथ साथ संभवतः नेशनल अवार्ड विनिंग फिल्म भी है.
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महाराजा (Film Maharaja) में विजय के कई शेड्स हैं. हर शेड्स में विजय ने कमाल किया है. विजय सेतुपति (Vijay Sethupathi ) ने महाराजा के किरदार में एक्टिंग के महाराजा दिलीप कुमार की तरह जान डाल दी है, उनकी एक्टिंग को एक मास्टरक्लास की तरह लिया जा सकता है. महाराजा में विजय सेतु दिलीप कुमार की तरह एक्टिंग करते नजर आ रहे हैं. विजय को पता है कि कहां शांत रहते हुए भी बर्फ की तरह सख्त रहना हैं. तो कहीं अंदर का दर्द पीते हुए भी गहरे समुद्र की तरह शांत रहना है. तो कहीं विजय के आंसुओं की धारा दर्शकों के कलेजे को चीरने का काम करती है. तो कहीं एक्सप्रेशन ऐसा जहां रौद्र रूप दिखाना है तो ऐसा कि समाज के दुश्मनों की रूह कांप जाए.
अनुराग कश्पय (Anurag Kashyap) अच्छे डायरेक्टर हैं ये सब जानते हैं लेकिन आजकल वो विलेन के तौर पर जबरदस्त काम कर रहे हैं. महाराजा में सेल्वम के किरदार में उन्होंने ऐसा शानदार काम किया है कि आपको उनसे खौफ और नफरत हो जाएगी. इस फिल्म के जरिए अनुराग कश्यप ने बता दिया है कि फिल्म जगत को एक खतरनाक विलेन मिल गया है. कश्यप का खौफ उन्नीस सौ साठ से अस्सी के दशक के मुख्य विलेन रहे रंजीत, प्रेम चोपड़ा, अमरीश पुरी और शक्ति कपूर जैसा है. आसिफा के रोल में ममता मोहनदास जबरदस्त हैं, बाकी के सारे किरदारों ने भी अपना काम अच्छी तरह किया है.
निथिलन स्वामिनाथन (Nithilan Swaminathan) ने कमाल का डायरेक्शन किया है, कहां किस सीन को कितना रखना है इसका अच्छे से ख्याल रखा गया है. फिल्म कहीं भी ढीली नहीं पड़ती है. आपको एक शॉट में अगर लगेगा कि फिल्म सुस्त है तो अगले पल ही आप ट्विस्ट देख कर चौंक जाएंगे. एक के बाद एक ट्विस्ट आते हैं जो आपको एंटरटेन करते हैं. महाराजा देखने के लिए आपको अपनी आंखें स्क्रीन से नहीं हटानी है और दिमाग खोल कर चाको चौबंद रह कर फिल्म देखना होगा वरना कहानी समझने में आपने जरा भी ध्यान इधर उधर किया तो फ़िल्म का तारतम्य आप नहीं जोड़ पाएंगे.
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क्लाइमैक्स आपको अंदर तक हिला डालता है. एक आम इंसान के लिए परिवार की क्या अहमियत होती है, परिवार को लेकर मुहब्बत, लगाव, अपनापन, पैशन क्या होती है, और वो परिवार के खिलाफ हुए जुल्म को खत्म करने के लिए किस हद तक जा सकता है ये विजय सेतु ने पर्दे पर भरपूर उकेरा है. बदकिस्मती से साउथ इंडियन मार्केट के अलावा हिन्दी मार्केट में महाराजा कमाई के हिसाब से ज़ोर नहीं पकड़ पाई है. लेकिन ओ टी टी प्लेटफार्म पर महाराजा धमाल मचा रही है. महाराजा के लिए विजय सेतु को नेशनल अवार्ड मिल सकता है. बेस्ट विलेन के रूप में अनुराग कश्यप को और निर्देशक के रूप में महाराजा फिल्म और निर्देशक निथिलन को नेशनल अवार्ड मिल सकता है.
लेखक- शाहिद सईद, वरिष्ठ पत्रकार
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