लैंगिक भेदभाव और रूढ़िवादी परिवेश में ‘नूर’ की जद्दोजहद का दस्तावेज है ‘ब्लैंक्स एंड ब्लूज’
- Literature
- June 8, 2020
‘ब्लैंक्स एंड ब्लूज’ एक महिला केंद्रित उपन्यास है। इस उपन्यास की नायिका, नूर अपने माता पिता की इकलौती संतान है। अर्जीरिया नाम की एक त्वचा की दुर्लभ बीमारी ने उसके जीवन को बदरंग कर दिया। वो निराशा के अंधकार में डूब रही थी, तभी उसने एक फैसला लिया। उसने द़ढ़ निश्चय किया कि वो निराशा
READ MOREकविता : प्रवेश-द्वार मंदिरों के चढ़ावे रुक गए, मस्जिदों का सदका भी बंद, चर्चों को भी चंदे नहीं मिल रहे, गुरुद्वारों के दान का भी वही हाल; हो न हो,कोरोना के बढ़ते संक्रमण का धर्मस्थलों के प्रवेशद्वार बंद कर दिए जाने से सीधा-सीधा और पक्का संबंध हो! ईश्वर,अल्लाह,गॉड,वाहेगुरु कुपित,क्रोधित होकर,मज़ा चाखा रहे हों! जब
READ MOREकरोना से दुनिया परेशान थी अंदर तक लहूलुहान थी । उसको देवी,देवता,खुदा, गॉड ,सब कर चुके निराश। बस इंसानों से ही थी कुछ आश । मैं भी देख रहा था दुनिया में इंसान को तिल तिल मरता । आखिर होरी भी कब तक, क्या न करता ? उधर दुनिया की शानो शौकत रो रही थी।
READ MOREकोरोना बोला होरी क्या है हाल ? मैं बोला यह कैसा सवाल ? मचा रखा दुनिया में इतना बवाल ? फिर पूछते हो कैसा है हाल ? अरे “होरी” ,गुस्सा नहीं करते । कवि हो इतना नहीं समझते । अतिथि हूं गोबर ही खिला देते गोमूत्र ही पिला देते और वे दुनियां भर की मिसाइलें
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