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  • मृत्यु के बाद के कर्मकांड

    मृत्यु के बाद के कर्मकांड0

    जीवन का अंतिम संस्कार है मृत्यु । जतास्य हि ध्रुवो मृत्यु: जन्म मृत्यु ध्रुवस्च। जन्म लेने वाले की मृत्यु सुनिश्चित है चाहे राजा हो या रंक।            मृतक के शरीर की अंतिम क्रिया विभिन्न संप्रदायों, मजहबों में अलग अलग ढंग से की जाती है जिनका मुख्य संबंध सामाजिक रीति रिवाजों से अधिक है। कोई जलाए

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  • हिन्दू मन का भटकाव, कारण और निवारण

    हिन्दू मन का भटकाव, कारण और निवारण0

    आए दिन प्रश्न आते हैं और आप स्वयं इन प्रश्नों से रोज रोज जूझते हैं कि मन भटकता क्यों है? वैसे तो मन के भटकाव का व्यापक विस्तार है लेकिन यहां मैं हिन्दू के मन के भटकाव की बात तक सीमित रहूंगा। बाकी आगे चर्चा करूंगा। यह चर्चा भी धर्म, दर्शन और अध्यात्म के क्षेत्र

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  • एकोअहम् द्वितीयोनास्ति – आचार्य श्री होरी

    एकोअहम् द्वितीयोनास्ति – आचार्य श्री होरी0

    अब आप चिंतन करें। जब मैं और वह एक हैं, यानी आपमें इसमें उसमें वही विद्यमान है तो उसे बाहर क्यों खोजते हैं?  मूर्तियों, देवी देवताओं, चित्रों में खोजने से अच्छा है भटकाव बंद कर अप्प दीपो भव कहें  या तत् त्वम् असि कहें या सोअहम् कहें या कहें अहम् ब्रह्मास्मि। बात समानार्थी है। बुद्ध

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