बुद्ध पूर्णिमा को पूर्व ब्यूरोक्रेट राजकुमार सचान “होरी” लेंगे संन्यास, उन्नाव का बौद्धिकआश्रम होगा निवास
प्रखर वक्ता, वरिष्ठ साहित्यकार और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी श्री राजकुमार सचान होरी अब पारिवारिक जीवन त्यागकर सन्यासी का जीवन जिएंगे। आगामी 5 जुलाई 2020 यानि कि गुरु पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) को सीतापुर के नैमिषारण्य में होरी जी सन्यासी जीवन में प्रवेश करेंगे। श्री राजकुमार सचान की पहचान प्रशासनिक अधिकारी से कहीं अधिक कवि, लेखक, साहित्यकार, संपादक व समाजसेवी की रही है। धर्म, दर्शन और संस्कृति के प्रकाण्ड विद्वान और चिंतक एवं साधक श्री राजकुमार सचान अब ‘आचार्य श्री होरी’ के रूप में जाने जाएंगे।
इस आश्रम की ख़ासियत यहां का “शास्त्रार्थ सभागार ” होगा। इस विशेष सभागार में देश और दुनिया के प्रसिद्ध विद्वानों, दार्शनिकों, आध्यात्मिक गुरुओं और चिंतकों के साथ दार्शनिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक और सामाजिक विषयों पर शास्त्रार्थ होगा।
देश विदेश में धार्मिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक अलख जगाने के लिए उन्नाव-लखनऊ हाईवे-27 पर सोहरामऊ में ‘बौद्धिक आश्रम’ स्थापित किया जा रहा है। इस आश्रम की ख़ासियत यहां का “शास्त्रार्थ सभागार ” होगा। इस विशेष सभागार में देश और दुनिया के प्रसिद्ध विद्वानों, दार्शनिकों, आध्यात्मिक गुरुओं और चिंतकों के साथ दार्शनिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक और सामाजिक विषयों पर शास्त्रार्थ होगा।
शास्त्रार्थ इस देश की प्राचीन बौद्धिक तार्किक परम्परा रही है। इसके द्वारा विद्वानों, दार्शनिकों, धर्माचार्यों के मध्य सदियों से वैचारिक, दार्शनिक, बौद्धिक उत्थान होते रहे हैं। इनका लाभ समय समय पर देश और दुनिया को मिला है।
बौद्धिक आश्रम में कई ऐसे प्रकल्प भी होंगे जिनके माध्यम से आम लोगों की सेवा की जाएगी।
श्री राज कुमार सचान “होरी” का जन्म एक किसान परिवार में ग्राम देवमनपुर, घाटमपुर, कानपुर नगर में हुआ। उन्होंने प्रथम प्रयास में पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण की और करीब चार दशक बतौर प्रशासनिक अधिकारी लोगों की सेवा की। साहित्यकार के रूप में लगभग दो दर्जन पुस्तकें लिखीं और देश के विभिन्न मंचों, आकाशवाणी और टीवी चैनलों में काव्यपाठ किया।