ओलंपिक में भारत के सुनहरे युग की शुरुवात
[vc_row][vc_column][vc_column_text]टोक्यो ओलंपिक का समापन हो गया है। 16 दिनों चले मुकाबले में 205 देशों ने शिरकत की थी। हजारों खिलाड़ियों ने पदक जीतने की कोशिश की। अब अगले ओलंपिक का आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस में 26 जुलाई से 11 अगस्त 2024 तक प्रस्तावित है। टोक्यो ओलंपिक के आयोजन से पहले कोरोना महामारी सबसे बड़ी बाधा बन रही थी, यहां तक कि इसके आयोजन को 2020 से स्थगित कर 2021 में शिफ्ट करना पड़ा। कोरोना के कारण ओलंपिक में विजेताओं को पदक पहनाया नहीं गया बल्कि विजेताओं ने खुद से अपने मेडल पहने। भारत को गोल्ड मेडल भाला फेंक के एथलीट नीरज चोपड़ा ने दिलाया। वेटलिफ्टर मीराबाई चानू और पहलवान रवि दहिया ने देश के खाते में सिल्वर मेडल जोड़े। बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु, मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन और पहलवान बजरंग पूनिया ने अपने-अपने खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत की शान बढ़ाई। भारतीय पुरुष हॉकी टीम 41 साल बाद पोडियम पर पहुंची। कुल 7 मेडल के साथ भारत पदक तालिक में 48वें स्थान पर रहा।
मेडल पर अमेरिका और चीन का दबदबा
इस बार ओलंपिक में सबसे ज्यादा 113 मेडल जीतकर अमेरिका पहले नंबर पर रहा. अमेरिका ने 39 गोल्ड, 41 सिल्वर और 33 ब्रॉन्ज मेडल जीते। दूसरे नंबर पर चीन ने 38 गोल्ड, 32 सिल्वर, 18 ब्रॉन्ज के साथ कुल 88 मेडल जीते। तीसरे नंबर पर जापान रहा, उसने 27 गोल्ड, 14 सिल्वर, 17 ब्रॉन्ज के साथ कुल 58 मेडल जीते। चौथे नंबर पर ब्रिटेन रहा, जिसने 22 गोल्ड, 21 सिल्वर और 22 ब्रॉन्ज के साथ कुल 65 मेडल जीते। पांचवें नंबर पर रूस रहा, जिसने 20 गोल्ड, 28 सिल्वर, 23 ब्रॉन्ज के साथ कुल 71 मेडल जीते। ऑस्ट्रेलिया 17 गोल्ड, 7 सिल्वर, 22 ब्रॉन्ज के साथ कुल 46 मेडल जीतकर छठवें स्थान पर रहा। सातवें नंबर पर नीदरलैंड रहा, जिसने 10 गोल्ड, 12 सिल्वर, 14 ब्रॉन्ज के साथ कुल 36 मेडल जीते। आठवें नंबर पर फ्रांस रहा जिसने 10 गोल्ड, 12 सिल्वर, 11 ब्रॉन्ज के साथ कुल 33 मेडल जीते। जर्मनी अंक तालिक में 9वें नंबर पर रहा, उसके खाते में 10 गोल्ड, 11 सिल्वर, 16 ब्रॉन्ज के साथ कुल 37 मेडल आए। दसवें नंबर पर इटली रहा। इटली ने 10 गोल्ड, 10 सिल्वर और 20 ब्रॉन्ज मेडल जीते।
ओलंपिक इतिहास और भारत
टूर्नामेंट शुरू होने से पहले से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि भारत इस बार ओलंपिक इतिहास में अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन करेगा और ऐसा हुआ भी। मेरीकॉम और अमित पंघाल जैसे कई बड़े खिलाड़ियों के बाहर होने के बावजूद भारत ने खेलों के इस महाकुंभ को अपना सबसे सफल ओलंपिक बना दिया। ओलंपिक इतिहास की बात करें, तो भारत के नाम अब तक कुल 35 पदक हैं। इनमें 10 स्वर्ण, नौ रजत और 16 कांस्य पदक शामिल हैं। सबसे ज्यादा आठ स्वर्ण पदक तो अकेले भारत की हॉकी टीम ने जीते हैं। देश के नाम व्यक्तिगत स्पर्धा में दो गोल्ड हैं, जो अभिनव बिंद्रा ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक के दौरान शूटिंग और इसी साल नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में जीता है। भारत ने 2012 लंदन आलंपिक को पीछे छोड़ते हुए टोक्यो ओलंपिक में नया कीर्तिमान स्थापित किया। वैसे यह भी सच है जीते गए सिर्फ सात मेडल भारत की उस हैसियत को सही बयान नहीं करते हैं जो उसने वर्षों मेहनत करके बनाई है। शूटिंग और तीरंदाजी जैसे खेलों में ओलंपिक पदक जीतने के लिए न जाने कब से बड़े स्तर पर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भारत को कई मेडल्स की उम्मीद थी लेकिन बड़े इवेंट के तनाव में हमारे कई सितारे चूक गये। दूसरी तरफ विश्व में 200वीं रैंक वाली गोल्फर अदिति अशोक जैसे कई खिलाड़ी पदक के बिल्कुल करीब लग रहे थे लेकिन आखिर में निराशा हाथ लगी। जहां तक आंकड़ों का सवाल है सन 1900 में हुए पेरिस ओलंपिक में नॉर्मन प्रीचार्ड नामक भारतीय ने मेडल जीता था लेकिन तब वो ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व कर रहे थे इसलिए भारत के खाते में कोई मेडल नहीं जोड़ा गया। इसके बाद मिल्खा सिंह, पीटी उषा और अंजू बॉबी जॉर्ज का जमाना आया लेकिन कामयाबी किसी को नहीं मिली। मिल्खा सिंह सेकेंड के सौवें हिस्से से कांस पदक नहीं जीत पाए। फ्लाइंग सिख के बाद उड़नपरी पीटी उषा चार सौ मीटर की बाधा दौड़ में फोटो फिनिश में चूकीं। मुकाबला इतना नजदीकी था कि कमेंट्री कर रहे लोगों ने जोश में घोषणा कर दी थी कि भारत को पीटी उषा ने कांस पदक जीता दिया है। फिर एक समय आया जब अंजू बॉबी जॉर्ज से करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें बंधीं थीं। अंजू बॉबी जॉर्ज ने वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियनशिप जीती थी। लोगों को उम्मीद थी कि वो ओलंपिक में पदक जरूर जीतेंगी पर अंजू से लॉन्ग जंप में मेडल जीतने की आस लगाये भारतीयों का दिल टूट गया था। नीरज चोपड़ा के कारण भारतीय एथेलेटिक्स में वो सुनहरा पल आया जब ओलंपिक का पहला मेडल मिला और वो भी गोल्ड। इससे ज्यादा किसी देश को भला और क्या चाहिए होगा। कुल मिला कर टोक्यो ओलंपिक हर भारतीय के लिए गौरवशाली रहा। ओलंपिक इतिहास में पहले ही दिन कोई पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय बनीं मणिपुर की मीराबाई चानू। चानू ने पहले ही दिन सिल्वर मेडल जीत कर भारत का शानदार आगाज दिया जिसे नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीत कर अंजाम तक पहुंचाया। हाकी में एक बार फिर सुनहरे युग की शुरूवात हो चुकी है। भारत ने ओलंपिक हॉकी में अब तक 8 गोल्ड, 1 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल जीता है। आखिरी बार 1980 में भारत ने गोल्ड के तौर पर हॉकी में मेडल जीता था। मॉस्को ओलंपिक के 41 बाद इस बार भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो मास्को में जीते गए गोल्ड से कई गुना कीमती है 2021 का ब्रॉन्ज मेडल क्योंकि 1980 मास्को ओलंपिक का आधी से ज्यादा दुनिया ने बॉयकॉट किया था, वजह थी सोवियत संघ का अफगानिस्तान पर कब्जा करना।
जैवलिन में नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास
भारत को सबसे बड़ी सफलता जैवलिन थ्रो में हासिल हुई। नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक में 13 साल बाद भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। यही नहीं, 121 साल में पहली बार भारत को ट्रैक एंड फील्ड में स्वर्ण पदक हासिल हुआ। भारतीय सेना के जवान नीरज चोपड़ा ने फाइनल मुकाबले के पहले प्रयास में ही 87.03 मीटर का थ्रो फेंका जिसे देखकर तमाम देशवासी झूम उठे, लेकिन अभी नीरज का टोक्यो ओलंपिक में बेस्ट आना बाकी था। 23 साल के इस खिलाड़ी ने अपने दूसरा थ्रो 87.58 मीटर की दूरी पर फेंका और अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा लिया। जहां तक एथलेटिक्स में भारत के सफर की बात है तो इससे पहले कोई भारतीय एथलेटिक्स में ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाया था। नीरज चोपड़ा ने अपनी इस ऐतिहासिक उपलब्धि को दिग्गज धावक मिल्खा सिंह को समर्पित किया। फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह का बीते जून में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था। भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद चोपड़ा ने कहा, ‘‘मिल्खा सिंह स्टेडियम में राष्ट्रगान सुनना चाहते थे. वह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका सपना पूरा हो गया।” नीरज की तरफ से मिले इस सम्मान से मिल्खा सिंह के पुत्र और स्टार गोल्फर जीव मिल्खा सिंह भावुक हो गए और उन्होंने तहेदिल से उनका आभार व्यक्त किया। जीव ने ट्विटर पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए लिखा, ‘‘पिताजी वर्षों से इसका इंतजार कर रहे थे। एथलेटिक्स में पहले स्वर्ण पदक से उनका सपना आखिर सच हुआ। यह ट्वीट करते हुए मैं रो रहा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि ऊपर पिताजी की आंखों में भी आंसू होंगे। यह सपना साकार करने के लिये आभार।’’
वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू को रजत
भारत की स्टार महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में देश को पहला मेडल दिलाया। चानू ने ओलंपिक वेटलिफ्टिंग में भारत का 21 साल का इंतजार खत्म किया और रजत पदक जीतकर देश का खाता खोला था। उन्होंने महिलाओं की 49 किग्रा वर्ग में क्लीन एंड जर्क में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। चीन की हाऊ झिहू ने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। मणिपुर की इस खिलाड़ी ने 49 किग्रा वर्ग में कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) भार उठाकर रजत पदक हासिल किया था। मीराबाई चनू से पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में देश को भारोत्तोलन में कांस्य पदक दिलाया था। सन 2000 के बाद से अब तक भारत के खाते में कोई पदक नहीं आया था। चानू की इस कामयाबी पर उन्हें एडिशनल एसपी (स्पोर्ट्स) के पद से नवाजा है। मणिपुर के मुख्यमंत्री ने उन्हें एक करोड़ रुपये का चेक और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (खेल) के पद पर नियुक्ति का पत्र सौंपा। मीराबाई के तोक्यो में पदक जीतने के बाद ही उन्होंने इस पुरस्कार की घोषणा की थी। पदक जीतने के बाद चानू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “मुझे बहुत कम समय में अभ्यास के लिए अमेरिका भेजा गया था। सभी तैयारियों को एक दिन में पूरा किया गया। पीएम के कारण ही मुझे अच्छा प्रशिक्षण मिला और मैं पदक जीतने में सफल रही। मैं बहुत खुश हूं, मैं पिछले पांच वर्षों से इसका सपना देख रही थी। इस समय मुझे खुद पर गर्व महसूस हो रहा है। मैंने स्वर्ण पदक की कोशिश की, लेकिन रजत पदक भी मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। पदक जीतकर बहुत खुश हूं। मैं सिर्फ मणिपुर की नहीं, पूरे देश की हूं।’
कुश्ती में रवि दहिया को रजत, बजरंग पुनिया को कांस्य
कुश्ती फ्री स्टाइल में रवि कुमार दहिया ने रजत पदक और बजरंग पुनिया ने कांस्य पदक जीतकर कुश्ती में भारत का बोलबाला साबित किया। लेकिन दीपक पुनिया और विनेश फोगाट का ‘पोडियम’ पर पहुंचने का सपना पूरा नहीं हो पाया। बजरंग पुनिया ने कुश्ती के 65 किलोग्राम वर्ग में कजाकिस्तान के पहलवान दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से मात दी। इस जीत से बजरंग ने नियाजबेकोव से विश्व चैम्पियनशिप 2019 के सेमीफाइनल में मिली हार का बदला भी चुकता कर लिया। जीत के बाद बजरंग पुनिया के कहा कि, “टोक्यो का अंत कांस्य पदक के साथ हुआ। मैं सभी का धन्यवाद देना चाहता हूं कि सभी ने मेरा समर्थन किया है। खेल मंत्रालय, खेल संगठनों और देशवासियों का तहेदिल से धन्यवाद करता हूं। आप के बिना मैं कुछ भी नहीं हूं। ऐसे ही समर्थन करते रहे और मैं 2024 में मेडल का रंग बदलने की कोशिश करूंगा।” भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ने टोक्यो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता के पुरुषों के 57 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक जीता। दहिया से उम््मीद की जारही थी कि गोल्ड मेडल जीतेंगे लेकिन फाइनल में वह रूसी ओलंपिक समिति के मौजूदा विश्व चैंपियन जावुर युवुगेव से 4-7 से हार गए। दहिया इससे पहले युवुगेव से 2019 में विश्व चैंपियनशिप में भी नहीं जीत पाए थे। दहिया ने रजत जीतने के बाद कहा कि, “बहुत सारे चैंपियन हैं लेकिन मैं सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता हूं। वर्तमान में केवल एक ही नाम है, जो हर कोई जानता है, वह है सुशील कुमार। मैं कुछ ऐसा बनना चाहता हूं। जीत से मैं खुश हूं, लेकिन संतुष्ट नहीं हूं। मैं किसी अन्य पदक के लिए ओलंपिक में नहीं आया था। मेरा लक्ष्य केवल गोल्ड मेडल था। लेकिन कोई दिक्कत नहीं है, मैं अगली बार बेहतर अभ्यास के साथ कोशिश करूंगा। हालांकि मैंने अभ्यास के दौरान कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मैंने अपना 100 प्रतिशत दिया था, लेकिन मुझे अगले गेम के लिए और अधिक मेहनत करनी पड़ेगी”
बॉक्सिंग में लवलीना बोरगोहेन को कांस्य
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन सेमीफाइनल मैच हारकर इतिहास रचने से चूक गईं। उनको महिलाओं के वेल्टरवेट (69किग्रा) सेमीफाइनल मैच में वर्ल्ड चैंपियन तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली ने 0-5 से हरा दिया। पहली बार ओलंपिक में खेलीं असम की 23 वर्षीय मुक्केबाज ने सेमीफाइनल में पहुंचकर कांस्य पदक सुनिश्चित कर लिया था। उन्होंने ओलिंपिक में नौ साल बाद भारत को मुक्केबाजी में पदक दिलाया। इससे पहले यह करनामा विजेंद्र सिंह (2008) और एमसी मेरी कोम (2012) कर चुके हैं। बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ मुकाबले में लवलीना को हार का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने वर्ल्ड चैंपियन को काफी कड़ी टक्कर दी, कई अच्छे पंच मारे, पर शिक््स््त नहीं दे पाईं। जब लवलीना सेमिफाइनल के लिए रिंग में उतरीं तो असम विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही आधे घंटे के लिए रोक दी गई। लवलीना जब देश का गौरव बढ़ाने के लिए रिंग में एड़ीचोटी का जोर लगा रही थी तो इधर असम विधानसभा भवन में सूबे के विधायक उनका मैच देख हौसला बढ़ा रहे थे। अगर वे सेमीफाइनल मुकाबला जीत जातीं, तो पहली बार कोई भारतीय बॉक्सर ओलंपिक में स्वर्ण या रजत पदक की दावेदारी पेश करता। लबलीना काफी गरिब परिवार से आती हैं और अपने पिता का खेती में हाथ बंटाने का काम बड़े शौक से करती हैं। बचपन का एक किस्सा बताते हुए लवलीना बोरगोहेन की मां ममोनी बोरगोहेन ने कहा कि “एक बार लवलीना के पिता उनके लिए मिठाई लाए। मिठाई जिस अखबार में लपेटकर लाई गई थी लवलीना उसे पढ़ने लगीं। तब पहली बार लवलीना ने मोहम्मद अली के बारे में पढ़ा और फिर बॉक्सिंग में उनकी रुचि बढ़ी और यहीं से उनके सफर की शुरूवात हुई।”
बैडमिंटन में पीवी सिंधु को लगातार दूसरा पदक
भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने चीन की ही बिंग जियाओ को हराकर इतिहास रचा। सिंधु ने न सिर्फ कांस्य पदक अपने नाम किया बल्कि वो भारत के ओलंपिक इतिहास में पहली ऐसी महिला एथलीट बनीं जिन्होंने लगातार दो ओलंपिक में मेडल जीत हो। इसी के साथ सिंधु ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। इससे पहले सुशील कुमार को कुश्ती में दो पदक मिले थे। सिंधु ने कांस्य के मुकाबले में बिंग जियाओ को वापसी का कोई मौका नहीं देते हुए सीधे सेट में मात देकर पदक अपने नाम किया. बैडमिंटन सिंगल्स में कांस्य पदक जीत के बाद पीवी सिंधु ने कहा कि, “अगर रियो ओलंपिक के रजत पदक से तुलना करें तो यह कांस्य अधिक दबाव और जिम्मेदारी के बाद आया है। मैं बहुत-बहुत ख़ुश हूं कि मुझे लगातार मेडल मिले, पहले 2016 में और अब 2021 में… मैंने बहुत मेहनत की और अगर आप बहुत मेहनत करते हैं तो आपको पदक मिलता है। सेमीफाइनल में मिली हार के बाद मैं बहुत उदास थी। कांस्य पदक के इस मुकाबले पर फोकस नहीं कर पा रही थी। फिर जब कोच पार्क ने मुझे कहा कि नंबर तीन पर आना, नंबर चार पर आने के मुकाबले एक बड़ी उपलब्धि है, तो मुझे यह अहसास हुआ कि यह मैच मेरे लिए कितना अहम है।”
पुरूष हॉकी में कांस्य, महिला टीम ने दिल जीता
आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय टीम मुकाबले में एक समय जर्मनी से 1-3 से पिछड़ रही थी, लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही। भारत के लिए सिमरनजीत सिंह (17वें मिनट और 34वें मिनट) ने दो जबकि हार्दिक सिंह (27वें मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वें मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह ने एक-एक गोल किया। 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद भारतीय टीम ओलंपिक पदक जीती है। पीएम नरेंद्र मोदी ने टीम को बधाई देते हुए ट्वीट में लिखा, ‘ऐतिहासिक! एक ऐसा दिन, जो हर भारत की इतिहास में अंकित होगा। हॉकी टीम को बधाई। इस उपलब्धि के साथ, उन्होंने पूरे देश, खासकर हमारे युवाओं की कल्पना पर कब्जा कर लिया है। भारत को अपनी हॉकी टीम पर गर्व है।’ दूसरी तरफ भारतीय महिला हॉकी ने भी इतिहास रचते हुए पहली बार सेमीफाइनल तक का सफर पूरा किया। महिला हॉकी में भारत ब्रॉन्ज मेडल के लिए कांटे की टक्कर में जरा सी कसर से पदक चूक गया। टोक्यो ओलंपिक्स 2020 में महिला हॉकी में ब्रॉन्ज मेडल के लिए खेले मैच में भारत को ब्रिटेन के हाथों 4-3 से पराजय मिली थी। हार के बावजूद महिला हॉकी ने अपने दमदार प्रदर्शन से दुनिया भर का दिल जीता। भारत की तरफ से गुरजीत कौर ने दो और वंदना कटारिया ने एक गोल किया। जबकि, ब्रिटेन की तरफ से बालसन, पीयर्न, सारा रॉबर्टसन और रायर ने एक-एक गोल किया। टोक्यो ओलंपिक में कटारिया ने एक हैट्रिक समेत भारत की तरफ से सबसे अधिक गोल करने वाली खिलाड़ी रहीं जबकि गोलकीपर सविता पुनिया को ‘ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैच के बाद ट्वीट कर भारतीय महिला हॉकी टीम पर गर्व जताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि, “इस टीम पर गर्व है। टोक्यो ओलंपिक्स 2020 में हमारी महिला हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन को हम हमेशा याद रखेंगे। हम महिला हॉकी में बेहद करीब से पदक चूक गए, लेकिन यह टीम नए भारत की भावना को दिखाती है। टोक्यो में मिली सफलता कई और बेटियों को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करेगी।”
लेखक- शाहिद सईद, वरिष्ठ पत्रकार[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]