Bihar Politics: नीतीश का NDA में जाना तय, बिहार में फिर आएगा सुशासन?
Bihar Politics: बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम इतनी तेजी से बदल रहा है कि सब भौचक्का हैं। आम जनमानस से लेकर राजनीतिक दल और मीडिया में कौतुहल है। कयास पर कयास लगाए जा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर सरकारें बन और बिगड़ रही हैं। चौराहे की चाय की दुकान से लेकर टीवी स्टूडियो तक में बिहार की राजनीति पर विश्लेषण गढ़े जा रहे हैं। जोड़-घटाना, गुणा-भाग नीतीश, मोदी और लालू से ज्यादा ये लोग लगा रहे हैं। न्यूज चैनल वाले डिबेट पर डिबेट कराए जा रहे हैं। एक और बात मीडिया को नीतीश कुमार में फिर से सुशासन बाबू वाली छवि भी दिखने लगी है। मीडिया के सुर बदले-बदले से लग रहे हैं।
गठबंधन का फॉर्मूला
उधर पटना और दिल्ली में राजनीतिक पार्टियों के हाईकमान मीटिंग दर मीटिंग किए जा रहे हैं। गठबंधन का फॉर्मूला निकाला जा रहा है। दिल्ली में बीजेपी और पटना में जेडीयू और आरजेडी की मीटिंगों का दौर चल रहा है। इनके अलावा कांग्रेस भी परेशान है। कांग्रेस को डर इस बात का है कि कहीं उनकी पार्टी के विधायक किसी दूसरी पार्टी में शामिल न हो जाएं। बिहार में कांग्रेस के 19 बिधायक हैं।
जीतन राम मांझी भी सक्रिय हो गए हैं। क्योंकि नई सरकार बनती है तो मांझी को भी मलाई मिलेगी। उनके पास महागठबंधन का ऑफर पहुंच चुका है। उनके बेटे को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है यदि वो लालू प्रसाद यादव का साथ देते हैं तो। लेकिन क्या मांझी ऐसा करेंगे?
Bihar Politics: बिहार विधानसभा का नंबर गेम
नीतीश कुमार अगर एक बार फिर से पाला बदलते हैं तो क्या होगा? इसे जानने के लिए बिहार विधानसभा में दलगत स्थिति को समझना जरूरी है। बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं। बहुमत के लिए 122 का आंकड़ा चाहिए। बिहार में दो गठबंधन हैं। एनडीए और महागठबंधन। दलगत स्थिति इसप्रकार है-
महागठबंधन
RJD-79, JD(U)-45, INC-19, CPI(ML)L-12, CPI-2, CPI(M)-2, IND-1
NDA (एनडीए)
BJP-78, HAM-4
AIMIM-1 (किसी गठबंधन में शामिल नहीं है।)
एनडीए में बीजेपी के पास 78 सीटें, जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) के पास 4 विधायक हैं। इस प्रकार NDA के पास कुल 82 विधायक हैं।
महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD के पास 79 विधायक हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड JD(U) के पास 45 विधायक, कांग्रेस के पास 19 विधायक, CPI (ML)L के पास 12 विधायक, CPI के पास 2 विधायक, CPI(M) के पास 2 विधायक हैं। एक निर्दलीय विधायक है।
इसके अलावा ओवैसी की पार्टी AIMIM का एक विधायक है। जो किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं है।
बिहार में अभी महागठबंधन की सरकार है। ये गठबंधन पिछले 10 अगस्त 2022 को बना था। इसमें RJD (79), JD(U) (45), INC (19), CPI(ML)L (12), CPI (2), CPI(M) (2) और एक निर्दलीय विधायक शामिल है। इस प्रकार इस गठबंधन में कुल विधायकों की संख्या हो गई 160. नीतीश कुमार की अगुवाई में 18 महीने से सरकार चल रही है।
एनडीए में BJP (78) और HAM (4) शामिल हैं। इनके पास कुल 82 विधायक हैं।
सरकार बनाने का पहला विकल्प
सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा है 122 का। यदि नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए में आते हैं तो एनडीए का आंकड़ा हो जाएगा 127 का। यानि कि सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
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सरकार बनाने का दूसरा विकल्प
नीतीश कुमार (Nitish Kumar ) का बीजेपी के साथ जाने की संभावना को देखते हुए लालू प्रसाद यादव भी जोड़-तोड़ में लग गए हैं। लालू प्रसाद यादव के साथ आंकड़ों की बात की जाए तो लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD (79), INC (19), CPI(ML)L (12), CPI (2), CPI(M) (2) इस प्रकार कुल मिलाकर आंकड़ा पहुंचा 114 तक। यानि की बहुमत से 8 कम। यदि ओवैसी की पार्टी का एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक भी आ जाए तो भी 6 विधायकों की कमी रह जाती है।
इन 6 विधायकों को जुटाने के लिए लालू प्रसाद यादव ने सारे घोड़े दौड़ा दिए हैं। जीतनराम मांझी को अपने पाले में लाने के लिए लालू प्रसाद यादव पूरा जोर लगा रहे हैं। हालांकि मांझी मोदी को छोड़कर लालू के पास जाएंगे इसकी संभावना कम ही लगती है।
यदि मांझी जिनके पास 4 विधायक हैं लालू प्रसाद यादव के खेमें में चले भी जाते हैं तो भी बहुमत तक आंकड़ा नहीं पहुंचता है। 2 विधायक लालू को और चाहिए होंगे। यही सबसे बड़ा पेंच है। क्योंकि इसके आगे बड़ा खेला करना पड़ेगा जो कि बड़ा ही पेंचीदा है। मौजूदा दौर में लालू प्रसाद यादव बड़ा खेला कर पाएंगे इसकी संभावना बहुत ही कम है। क्योंकि इस खेल को खेलने के लिए बीजेपी या जेडीयू के कम से कम 6 विधायकों का इस्तीफा करवाना होगा। जैसा मध्यप्रदेश में बीजेपी ने कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए किया था।
लेकिन बीजेपी और लालू प्रसाद में अंतर है। बीजेपी के पास पैसा और तंत्र दोनों मौजूद है, लालू के पास भले हो लेकिन तंत्र नहीं है। इसके अलावा पूरे परिवार पर सीबीआई और ईडी ने शिकंजा कसा हुआ है। ऐसे में लालू प्रसाद यादव महागठबंधन की सरकार बना पाएंगे इसकी संभावना नगण्य है।
सरकार Nitish Kumar की ही बनेगी
मौजूदा हालात को देखते हुए बिहार में विकल्प बहुत ही कम हैं। बल्कि ये कहना ज्यादा मुनासिब होगा कि एक ही विकल्प है। वो विकल्प है नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की सरकार का बनना। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व नीतीश कुमार की ताकत और राजनीतिक सूझ-बूझ से भलीभांति वाकिफ है। इसलिए वो नीतीश कुमार की अगुवाई में ही सरकार बनाएगा ऐसी संभावना अधिक है।
नीतीश कुमार की साफ सुथरी छवि और उनकी सोशल इंजीनियरिंग की महारत का बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में लाभ मिलेगा। इसके अलावा नीतीश कुमार के NDA में शामिल होने से INDIA गठबंधन की हवा निकल जाएगी, उसका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। ऐसे में एक तीर से दो शिकार हो जाएंगे।
आने वाले एक दो दिन में बिहार की सियासत (Bihar Politics) का ऊंट किस करवट बैठेगा साफ हो जाएगा। तब तक आप भी अपना विश्लेषण करते रहिए।