October 9, 2024

मोदी के लिए संकट मोचक बने इंद्रेश, देश विदेश के अल्पसंख्यकों को जोड़ने की मुहिम

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इंटरनेशनल क्रिसमस सेलिब्रेशन में आरएसएस और दुनिया भर के 90 आर्कबिशप और बिशप के एक मंच पर आने के कई सियासी और दूरगामी अंदेशे लगाए जा रहे हैं। प्रोग्राम से खुल कर जो बात सामने आती है वो है कि आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार एक बार फिर सरकार के लिए संकट मोचक बन कर उभरते दिख रहे हैं। वर्ल्ड लेवल पर मोदी सरकार की इमेज बिल्डिंग की कोशिश है क्योंकि मौजूदा वक्त में मोदी सरकार को लेकर विदेशों में सवाल भी उठे थे।

वेटिकन में प्रधानमंत्री मोदी और पोप फ्रांसिस की मुलाकात को सार्थक करने की पहल के रूप में भी यह कार्यक्रम था। साथ ही मंच से RSS का ईसाई समाज को सीधा और साफ संदेश कि पत्थर फेंकोगे तो पत्थर मिलेगा… यानी धर्मांतरण जैसे मुद्दों को संघ बर्दाश्त नहीं करेगा।

इसके साथ ही यह दिखाने की कोशिश भी रही कि संघ एक समागम है.. साथ चलने, फलने फूलने का भरोसा दिया गया मंच के जरिए। बहुत जल्द गोवा में चुनावी सरगर्मियां शुरू होने वाली हैं और इस सिलसिले में इस सेलिब्रेशन को गोवा चुनाव की रणनीति पर काम की शुरुवात भी माना जा रहा है जहां ईसाई वोट से सरकार बनती हैं।

एक बड़ा उद्देश यह भी रहा कि 2024 के लिए कांग्रेसी वोट बैंक में सेंध की कवायद के रूप में भी इसे देखा जा रहा है। गोवा के अलावा नॉर्थ ईस्ट, कर्नाटक जैसी जगहों में ईसाई वोट बड़ी तादाद में हैं। गौरतलब है कि 2019 चुनाव जीतने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024 चुनाव में 5 करोड़ अल्पसंख्यक वोट को टारगेट करने का लक्ष्य रखने को कहा था जिसे संघ नेता इंद्रेश कुमार बखूबी करते नजर आ रहे हैं। संघ नेता मुस्लिम, ईसाई, पारसी समुदाय को जोड़ने में लगे हैं। सवाल यह है कि अब आगे क्या? मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, भारतीय क्रिश्चियन मंच के बाद इंद्रेश कुमार क्या अब भारतीय सिख मंच भी बनाने जा रहे हैं?

दरअसल नई दिल्ली के आईटीसी मोर्य होटल में संघ और ईसाई समाज के मिलन की एक नई इबारत लिखी गई। पहली बार देखा गया कि ईसाई समाज और संघ परिवार.. जिनमें 36 का आंकड़ा माना जाता रहा है; वह एक साथ एक मंच पर न सिर्फ आए बल्कि चार घंटे का रंगारंग कार्यक्रम भी हुआ। इसमें भाषणों के माध्यम से विचारों का आदान प्रदान हुआ साथ ही मंच से साफ साफ संदेश देने की कोशिश की गई।

इंद्रेश कुमार ने ईसाई धर्म से आह्वान किया है कि भेद भाव, धार्मिक कट्टरता और धर्मांतरण को छोड़ कर एक साथ जुड़ कर देश के विकास के लिए आगे आएं। संघ नेता ने कहा कि किसी भी धर्म को किसी दूसरे धर्म पर आक्रमण नहीं करना चाहिए बल्कि एक साथ एक मंच पर आकर समस्या का समाधान खोजना चाहिए। संघ नेता ने विश्वास जताया कि भारत ही दुनिया को शांति का रास्ता दिखाएगा। उन्होंने कहा की भारत विश्व गुरु था और एक बार फिर से विश्व गुरु बनेगा। इस मौके पर अनेक देशों के आर्कबिशप, बिशप, डिप्लोमेट्स और प्रतिनिधि शामिल हुए।

मंच पर मौजूद अमेरिकी आर्कबिश्प रॉबर्ट गोस्सलिन प्रमुख थे। उन्होंने भी अपने भाषण में भारत और भारत सरकार की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के कामों की तारीफ की। उन्होंने भारतीय डॉक्टर, इंजीनियर्स, आईटी प्रोफेशनल के काम की तारीफ भी की जो अमेरिका की तरक्की और कामयाबी में बखूबी अपना किरदार निभा रहे हैं।


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