मशहूर शायर Munawwar Rana का निधन, लखनऊ PGI में भर्ती थे मुनव्वर राणा
मशहूर शायर मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) का आज देर रात निधन हो गया है। लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई (SGPGI ) में उनका इलाज चल रहा था।। कई दिनों से उनकी हालत गंभीर थी और वो ICU में भर्ती थे। उन्हें 9 जनवरी को लखनऊ पीजीआई में भर्ती कराया गया था। इसके पहले उनका लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्हें किडनी, निमोनिया और हृदय रोग के साथ-साथ अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं थी। हालात बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया था। उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। 14 जनवरी की रात करीब 11 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मुनव्वर राणा 71 साल के थे।
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मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) के बारे में पूरी जानकारी
मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में हुआ था। उनके पिता अनबर राणा और मां आयशा खातून थीं। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में बिताया है। उन्होंने कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें साहित्य अकादमी और ‘पद्मश्री’ शामिल हैं।
मुनव्वर राणा एक विवादास्पद शायर थे। उनकी कई कविताएँ राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर हैं। उन्होंने कई बार सरकारों की कड़ी आलोचना की है।
मुनव्वर राणा (Munawwar Rana Family) का परिवार
मुनव्वर राणा के के दो बच्चे हैं। उनका एक बेटा है तबरेज राणा और उनकी बेटी सुमैया राणा समाजवादी पार्टी की सदस्य हैं।
मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) की शायरी और शैली
मुनव्वर राणा एक प्रसिद्ध शायर हैं, जिनकी रचनाओं में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर तीखी टिप्पणी देखने को मिलती है। उन्हें अपनी व्यंग्यात्मक और बेबाक शैली के लिए जाना जाता है। उनकी रचनाओं ने अक्सर विवाद खड़े किए हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने कई ग़ज़लें, शायरी और नज़में लिखी हैं।
उनकी कुछ प्रसिद्ध ग़ज़लों में “नफ़रत की आग”, “आज़ादी की तलाश में”, “तुमसे मिलने को आया हूँ” और “मुझे मालूम है” शामिल हैं।
मुनव्वर राणा के शेर (Munawwar Rana Ke Sher)
मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता,
तेरी रूह से मेरा खून जुदा हो नहीं सकता,
तू मेरे दिल में बस गई है,
अब मैं तुझसे जुदा हो नहीं सकता।
भुला पाना बहुत मुश्किल है
भुला पाना बहुत मुश्किल है
सब कुछ याद रहता है
जैसे बच्चे भरे बाजार में खो जाते हैं
तुमसे मिलने को आया हूँ
मैं ज़िंदगी भर से
तुम्हारे चेहरे को देखने को
मैं ज़िंदगी भर से
तुम्हारे होंठों को छूने को
मैं ज़िंदगी भर से
मुझे मालूम है
मुझे मालूम है
तुम मुझे भूल चुकी हो
पर मैं तुम्हें नहीं भूला हूँ
मुझे मालूम है
तुम मुझसे नफ़रत करती हो
पर मैं तुमसे प्यार करता हूँ
नफ़रत की आग
नफ़रत की आग में जले
लोगों ने अपने हाथ जलाए हैं
प्यार की रोशनी में
लोगों ने अपने दिल जलाए हैं
आज़ादी की तलाश में
आज़ादी की तलाश में
लोगों ने अपनी जान कुर्बान कर दी है
आज़ादी की तलाश में
लोगों ने अपना घर छोड़ दिया है
बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना
बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना,
गुलामों को सिखाया है आजाद होना,
मुनव्वर राणा ने सिखाया है सबको, इंसान होना।
मुनव्वर राणा जी को TheInterviewTimes की ओर से विनम्र श्रृद्धांजलि #RIPMunawwarRana