SIMI से खतरनाक आतंकी संगठन है PFI, ऑपरेशन खात्मा जरूरी: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

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नई दिल्ली, 25 सितम्बर. NIA के महा सर्च ऑपरेशन के बाद पीएफआई के खेमे में खलबली मची है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकारपॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगा सकती है. इस बीच राष्ट्रवादी मुस्लिम संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, भारत फर्स्ट औरहिंदुस्तान फर्स्ट हिंदुस्तानी बेस्ट ने संयुक्त रूप से नई दिल्ली में बैठक कर पीएफआई पर सरकार की पहल का समर्थन करते हुए इसेतत्काल बैन करने की मांग की है. मंच ने कहा कि जब भी इस देशद्रोही संगठन को लगता है कि उस पर कार्रवाई हो सकती है तब तबयह संगठन चूहे की तरह बिल में घुस जाता है. परंतु जैसे ही इसे लगता है कि खतरा टल गया है वैसे ही यह समाज में जहरीले सांप कीतरह खतरनाक बन जाता है. अतः मंच सरकार से मांग करती है कि इस आतंकी संगठन को तत्काल प्रभाव से नेस्तनाबूद किया जाए

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की मांग

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल और शाहिद अख्तर ने कहा कि एनआईए को इस एंटी टेरर सर्च ऑपरेशन मेंभारी कैश, डिजिटल डिवाइस, आपत्तिजनक डाक्यूमेंट्स और तेजधार हथियार बरामद हुए हैं. साथ ही इसमें 106 कार्यकर्ताओं कोगिरफ्तार किया गया है, जिसमें कई नेता और पीएफआई सदस्य शामिल थे. मंच के संयोजकों का मानना है कि केंद्र सरकार, स्टूडेंट्सइस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी की तरह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगा सकती है क्योंकि छापेमारी के दौरानजो कुछ भी सामने आया है उसकी मदद से इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने का पूरा आधार बनता है. इसे लेकर दिल्ली में गृहमंत्री अमितशाह ने एक उच्चस्तरीय बैठक भी की थी जिसमें एनएसए चीफ अजीत डोभाल और एनआईए चीफ समेत तमाम बड़े अधिकारी मौजूदरहे. मंच का साफ तौर पर कहना है कि वह सरकार की कार्रवाइयों का समर्थन करता है और इस पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन परअति शीघ्र कठोरतम कार्रवाई की मांग करता है

उग्र इस्लामिक संगठन

मंच की तरफ से इस्लाम अब्बास और माजिद तालीकोटी ने कहा कि 2006 में पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया का गठन किया गया था औरइसे तब से ही उग्र इस्लामिक संगठन माना जाता रहा है. इसके बावजूद यूपीए सरकार ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की. मंच ने सीधे तौरपर आरोप लगाया कि भले ही पीएफआई का दावा है कि वह समाजसेवा और लोगों को उनका हक दिलाने के लिए काम करता है परंतुयह समाज को तोड़ने और वैमनस्य फैलाने का काम करता पाया गया है. यह संगठन 23 राज्यों में फैला है और इस संगठन की महिलाविंग भी है. झारखंड में इस संगठन को बैन कर दिया गया था, जिसे हाई कोर्ट ने हटा दिया था, लेकिन 2019 में सरकार ने एक बार फिरइस संगठन को बैन कर दिया था, क्योंकि सरकार का कहना था कि इसके कुछ सदस्यों के लिंक सीरिया में मिले थे.

पीएफआई का कच्चा चिट्ठा

मंच के मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने कहा कि जो आंकड़े और सबूत पाए गए हैं उसके मुताबिक सिमी से भी अत्यधिक खतरनाकउग्रवादी संगठन पीएफआई है जिसको तत्काल नेस्तनाबूद किया जाना जरूरी है. मीडिया प्रभारी ने पीएफआई की आतंकवादीसंलिप्तता पर विस्तृत रूप से बातें रखी जिसमें कहा गया कि साल 2014 में केरल सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दावाकिया था कि पीएफआई राज्य में 27 राजनीतिक हत्याओं और 86 हत्या की कोशिश के मामलों और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के125 मामलों में शामिल रहे. दिनों दिन पीएफआई की बढ़ती गतिविधियों के कारण यह आंकड़े अब काफी बढ़ चुके हैं. एर्नाकुलम मेंछात्र हत्या के बाद केरल में भी 2018 में इस संगठन को बैन करने की मांग की गई थी. कर्नाटक में हिजाब प्रकरण में भी PFI कीभूमिका रही. CAA NRC प्रोटेस्ट के समय दिल्ली और उत्तर प्रदेश हिंसा में भी PFI की सक्रियता की बात सामने आई थी. राष्ट्रीयसुरक्षा एजेंसी NIA ने केरल में PFI के लोगों के ISIS संपर्क की रिपोर्ट दी थी. यही नहीं, श्रीलंका ब्लास्ट में भी PFI का जिक्र आया था. राजनीतिक हत्याओं, धर्म परिवर्तन के मामलों में भी PFI की भूमिका सामने नजर आती रही है. 2017 में केरल पुलिस ने लव जिहाद केमामले सौंपे थे, जिसमें PFI की भूमिका सामने आई थी. वहीं 2016 में कर्नाटक में आरएसएस नेता रूद्रेश की हत्या में PFI का नामआया था. देश के 23 राज्यों में PFI नेटवर्क है. मीडिया प्रभारी ने बताया कि केरल के कालीकट में इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं. पीएफआई ने कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, तमिलनाडु के मनिथा नीति पासराई, गोवा के सिटीजन्स फोरम, राजस्थान के कम्युनिटीसोशल एंड एजुकेशनल सोसायटी, आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन आफ सोशल जस्टिस के साथ मिलकर अपनी जड़ें बहुत मजबूत कर लीहैं. इसकी ज्यादातर गतिविधियां मुस्लिम मसलों से संबंधित होती हैं. कई बार मुसलमानों को आरक्षण के लिए यह संगठन सड़कों परउतर चुका है. साथ ही दलितों और आदिवासियों के साथ भी यह संगठन खड़ा होने का दावा करता है. मंच का स्पष्ट मानना है किपीएफआई के खिलाफ जितने भी सबूत मिले हैं उससे साफ पता चलता है कि यह एक आतंकवादी संगठन है जिसकी फंडिंग विदेशों सेहोती है और जिसकी रैलियों में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं जो यह साबित करता है कि पीएफआई का कैरेक्टर भारत विरोधीहै

सबूतों की कमी नहीं

हिंदुस्तान फर्स्ट हिंदुस्तानी बेस्ट के राष्ट्रीय संयोजक बिलाल उर रहमान और मोहम्मद महताब आलम ने कहा कि गृह मंत्रालय के पासएनआईए और आईबी द्वारा मुहैया कराए सबूतों का डॉजियर है, कई राज्यों ने पीएफआई की गतिविधियों के बारे में पुलिस रिपोर्ट भीगृह मंत्रालय को भेजी थी. संयोजकों ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों ने भी इस आशयका एलर्ट भेजा था. और जो खबरें अब तक देश और दुनिया तक पहुंची हैं और जितना आधार दिखाई दे रहा है उसको देखते हुएहिंदुस्तान फर्स्ट हिंदुस्तानी बेस्ट सरकार से अपील करता है कि जिस तरह SIMI पर प्रतिबंध लगाया गया था वैसे ही पीएफआई परप्रतिबंध लगा कर सख्त कार्रवाई करना बेहद जरूरी है क्योंकि पीएफआई जो काम कर रही है वह साफ तौर पर कहा जा सकता है किसिमी का काम ही आगे बढ़ा रही है. यह एक बहुत ही खतरनाक और शातिर संस्था है जो लगातार देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है

SIMI – PFI कनेक्शन

भारत फर्स्ट की तरफ से राष्ट्रीय संयोजक शिराज कुरैशी और इमरान चौधरी ने सख्ती से अपनी बात रखते हुए कहा कि कानपुर में हिंसाके बाद से पीएफआई चर्चा में रही. कानपुर से पहले हिंदू नववर्ष पर गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गोवा और झारखंड में जो दंगे हुएथे, उनमें भी पीएफआई के शामिल होने का दावा किया गया था. कई राज्य सरकारों ने दावे किए थे कि दंगों में पीएफआई के शामिलहोने के सबूत मिले. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने खुद पीएफआई को बैन करने की बात कही थी. मौर्य ने कहा था, हिंसा केपीछे पीएफआई का हाथ है और सरकार इस पर बैन लगाएगी. मौर्य ने यह भी कहा था कि सिमी के कुछ सदस्य अब पीएफआई मेंशामिल हो गए हैं और जगह जगह हिंसा फैला रहे हैं. यूपी के तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने पीएफआई पर प्रतिबंध के लिए गृहमंत्रालय को पत्र भी लिखा था. मध्य प्रदेश सरकार को भी खुफिया विभाग से सूचना मिली कि राज्य में कट्टरपंथी संगठन PFI अपने पैरपसार रहा है. खबर के अनुसार, खुफिया विभाग की एक टीम राज्य में संगठन की गतिविधियों पर नजर रख रही है. अभी तक की जांचमें पता चला है कि राज्य में पीएफआई के 650 से ज्यादा सदस्य हैं और यह संगठन राज्य में तेजी से बढ़ रहा है. जांच में आतंकी संगठनSIMI का भी पीएफआई से कनेक्शन मिला है

देश से गद्दारी एंटी इस्लामिक

मंच ने सवाल किया कि पीएफआई अगर इतना ही खतरनाक हो गया है तो उस पर अतिशीघ्र बैन क्यों नहीं लगाया जा रहा है? उसकेबैंक अकाउंट फ्रीज क्यों नहीं किए जा रहे हैं? संपत्तियां क्यों नहीं कुर्क की जा रही हैं? इनके नेता, पदाधिकारी और प्रतिनिधियों परहिंसक कार्रवाई में संलिप्तता के आधार पर कठोरतम कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? जबकि कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के प्रधानन्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने सरकार से पूछा था कि क्या पीएफआई पर प्रतिबंधलगाया गया है तो सरकार की ओर से कहा गया कि कुछ राज्यों में प्रतिबंधित है और केंद्र सरकार भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहीहै. अब मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने भी खुल कर इस आतंक परस्त संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. भारत फर्स्ट का साफ तौर परमानना है कि पीएफआई एक रेडिकल संस्था है जो मुसलमानों में कट्टरता फैलाकर विध्वंसक गतिविधियों में शामिल कराने की कोशिशकरता है. पीएफआई का मकसद मुसलमानों में जहर फैला कर भारत विरोधी कार्रवाई करना है. मुसलमानों को समझना चाहिए कि इसतरह की हरकतों में संलिप्तता उन्हें सिर्फ देशद्रोही की श्रेणी में ला खड़ा करती है बल्कि देश के साथ गद्दारी एंटी इस्लामिक भी है

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