• कोरोना काल – प्रवेश द्वार, प्रलयंकर-साल

    कोरोना काल – प्रवेश द्वार, प्रलयंकर-साल0

    कविता : प्रवेश-द्वार   मंदिरों के चढ़ावे रुक गए, मस्जिदों का सदका भी बंद, चर्चों को भी चंदे नहीं मिल रहे, गुरुद्वारों के दान का भी वही हाल; हो न हो,कोरोना के बढ़ते संक्रमण का धर्मस्थलों के प्रवेशद्वार बंद कर दिए जाने से सीधा-सीधा और पक्का संबंध हो! ईश्वर,अल्लाह,गॉड,वाहेगुरु कुपित,क्रोधित होकर,मज़ा चाखा रहे हों! जब

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  • ‘होरी’ की कोरोना से भिड़ंत, मिला नोबेल प्राइज़

    ‘होरी’ की कोरोना से भिड़ंत, मिला नोबेल प्राइज़0

    करोना से दुनिया परेशान थी अंदर तक लहूलुहान थी । उसको देवी,देवता,खुदा, गॉड ,सब कर चुके निराश। बस इंसानों से ही थी कुछ आश । मैं भी देख रहा था दुनिया में इंसान को तिल तिल मरता । आखिर होरी भी कब तक,  क्या न करता ? उधर दुनिया की शानो शौकत रो रही थी।

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  • कोरोना का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

    कोरोना का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू0

    कोरोना बोला होरी क्या है हाल ? मैं बोला यह कैसा सवाल ? मचा रखा दुनिया में इतना बवाल ? फिर पूछते हो कैसा है हाल ? अरे “होरी” ,गुस्सा नहीं करते । कवि हो इतना नहीं समझते । अतिथि हूं गोबर ही खिला देते गोमूत्र ही पिला देते और वे दुनियां भर की मिसाइलें

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