December 17, 2024

करें स्वस्थ जगत का चिंतन-आचार्य श्री होरी

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आदि मानव जंगल में पशु, पक्षियों के मध्य रहता था। उसके मस्तिष्क से विकास बीज प्रस्फुटित होकर वृक्ष बनना आरंभ हुआ। उसने गांव, नगर बसाए। अनेक सभ्यताएं और संस्कृतियां विकसित कीं । इसके लिए मस्तिष्क को लगातार शिक्षित किया उसने। ज्ञान, कर्म और भक्ति से एक सुरम्य संसार बनाया और हिंसा से बिगाड़ा भी। उसके शिक्षा और ज्ञान के अनेक विषय होते गए। धर्म, अध्यात्म, दर्शन, विज्ञान, साहित्य और न जाने कितने सामाजिक विषय और शास्त्र। विज्ञान और अन्य सामाजिक विषय उसका वाह्य विकास करते रहे तो धर्म, दर्शन उसका मानसिक, आत्मिक विकास करते गए।

सब संतुलित चलता रहता लेकिन एक गड़बड़ हो गई। कुछ स्वार्थी मनुष्यों ने धर्म और विज्ञान में तलवारें खींच दीं। एक दूजे के विरोधी बता कर उनके रास्ते पृथक करने लगे। बुद्ध, महावीर और कुछ ऋषि तथा कतिपय पाश्चात्य दार्शनिक इसको समझ गए थे, तभी उन्होंने वैज्ञानिक मानव धर्म की राह चुनकर मानवता को हजारों वर्ष बचाए रखा।

पर दुनिया में धर्म के नाम पर संप्रदाय, पंथ,  मत, मजहब बलवान होते गए और कट्टर तथा संकुचित भी। अपने नियम, उपनियम व्यवस्थाएं बना कर मानव को मानव से दूर और बहुत दूर करने लगे। धर्म के नाम पर अपने अपने संप्रदायों के भांति भांति की वेशभूषा, रीति रिवाजों से बंधे ये मनुष्य प्रकृति और मनुष्यता से दूर होते रहे।

इधर विज्ञान भी धर्म से दूर होने लगा और मानव के उत्थान और विकास का रास्ता कभी चलता तो कभी विनाश का। बारूद के ढेर पर दुनिया बैठा दी और विकास के साथ इतना प्रदूषण दिया कि प्रकृति कराह उठी। प्रकृति और आपके जन्मदाता की चेतावनियां जारी रहीं पर मनुष्य सुधरना तो दूर और बिगड़ता रहा। धार्मिक कर्मकांडी और अधार्मिक वैज्ञानिक मानवता से भयानक दूर हो गए तब 1918-20 के बाद (स्पैनिश फ्लू) के लगभग सौ साल बाद प्रकृति ने एक बार फिर अपना संहारक रूप धरा और कोरोना (कोविड 19) मनुष्य को दुखी हो कर सुधारने की दृष्टि से दिया। एक अवसर और।

संप्रदायों के कर्मकांड, पूजा स्थल बंद कराए और विज्ञान को भी सुधरने का संदेश दिया। सितारों तक पहुंचने वाला विज्ञान इतना असहाय और भटका हुआ कि एक अदृश्य वायरस से कायदे से लड़ नहीं पा रहा। वैक्सीन बनने में ही इतना समय कि विश्वास ही न हो कि दुनिया 21 वीं सदी में है।

आइए अब सही समय है गंभीर चिंतन का। सही राह के चुनाव का। विज्ञान और धर्म को जोड़ें और पाखंड एवं अंधविश्वास छोड़ें। मानव और जीव केंद्रित धर्म और विज्ञान एक साथ बढ़ाएं। जगत और ब्रह्मांड को सत्य, शिव, सुंदर बनाएं ।

आचार्य श्री होरी, बौद्धिक आश्रम, सोहरामऊ, उन्नाव Facebook/acharya shri hori


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